बहुत समय पहले की बात है, एक सुंदर से गाँव में एक प्यारा तोता रहता था जिसका नाम था मीठू। मीठू हरे पंखों वाला, लाल चोंच वाला और बहुत चंचल था। वह सबका मनपसंद था क्योंकि वह मीठी-मीठी बातें करता और सबका मन बहलाता।
लेकिन मीठू में एक बुरी आदत थी — उसे दूसरों की नकल करने में बहुत मज़ा आता था। वह सबकी बातें दोहराता और कभी-कभी तो चिढ़ाने के लिए भी ऐसा करता। बच्चे हँसते, लेकिन कभी-कभी लोग नाराज़ भी हो जाते।
एक दिन मीठू उड़ते-उड़ते जंगल में बहुत दूर चला गया। वहां उसे एक पुराना पेड़ दिखा और पेड़ के नीचे पड़ा था एक जादुई आईना। वह आईना बहुत सुंदर था और उसमें से हल्की सी चमक निकल रही थी।
मीठू ने आईने में देखा और जैसे ही उसने “नमस्ते!” कहा, आईने ने भी जवाब दिया, “नमस्ते मीठू!”
मीठू हैरान रह गया। उसने पूछा, “क्या तुम बोल सकते हो?”
आईना मुस्कुराया और बोला, “हाँ, लेकिन मैं वही कहता हूँ जो तुम कहते हो। मैं एक जादुई आईना हूँ। मैं सिर्फ सच बोलता हूँ और जो जैसा करता है, उसे वैसा ही दिखाता हूँ।”
मीठू को मज़ा आने लगा। वह आईने के सामने तरह-तरह की आवाजें निकालने लगा, दूसरों की नकल करने लगा। लेकिन तभी आईने में कुछ अजीब हुआ।
आईने में मीठू की शक्ल बिगड़ने लगी — उसकी चोंच लंबी, आँखें छोटी और आवाज़ कर्कश हो गई।
मीठू डर गया और बोला, “ये क्या हो रहा है?”
आईना गंभीर स्वर में बोला, “तुम दूसरों की नकल करके उन्हें हँसी का पात्र बनाते हो। यह सही नहीं है। अब तुम्हें भी वैसा ही दिखाया जा रहा है जैसा तुम दूसरों को महसूस कराते हो।”
मीठू को अपनी गलती का एहसास हुआ। वह बोला, “मुझे माफ कर दो। मैं अब से किसी की नकल नहीं करूंगा।”
आईना मुस्कुराया और बोला, “अगर तुम सच में बदलना चाहते हो, तो अच्छे शब्द बोलो और दूसरों की मदद करो।”
मीठू ने उस दिन से सबके साथ अच्छा व्यवहार करना शुरू किया। वह अब बच्चों को कहानियाँ सुनाता, बड़ों की बात ध्यान से सुनता और कभी किसी की नकल नहीं करता।
कुछ समय बाद, वह फिर से आईने के पास गया। इस बार आईने में मीठू की शक्ल पहले जैसी सुंदर थी और उसकी आवाज़ फिर से मधुर हो गई थी।
अब मीठू सबका सबसे प्यारा दोस्त बन गया था।
नैतिक शिक्षा (Moral of the story):
“दूसरों की नकल करना या उनका मज़ाक उड़ाना सही नहीं है। हमें सबके साथ प्यार और सम्मान से पेश आना चाहिए।”