एक घने जंगल में एक चतुर खरगोश, जिसका नाम चिंटू था, रहता था। वह हमेशा समझदारी से काम लेता और जंगल के अन्य जानवरों के बीच उसकी बड़ी इज्जत थी। वहीं दूसरी ओर, एक लोमड़ी भी रहती थी जिसका नाम था टिनी। टिनी बहुत चालाक और धोखेबाज थी, और वह हमेशा जंगल के जानवरों को धोखा देकर उनका शिकार करने की फिराक में रहती थी।

एक दिन, टिनी ने सोचा, “चिंटू खरगोश बहुत होशियार है, लेकिन अगर मैं उसे धोखा देकर पकड़ सकूं, तो मुझे बड़ा स्वादिष्ट भोजन मिलेगा।” टिनी ने एक चाल सोची और उसने एक बड़ा गड्ढा खोदा, उसके ऊपर पत्तों से ढक दिया और पास में ही बैठ गई।

चिंटू खरगोश जब वहां से गुजरा, तो उसने टिनी को मुस्कराते हुए देखा। उसे समझ में आ गया कि टिनी कुछ शरारत कर रही है। उसने चुपचाप वहां की जांच की और गड्ढे को देख लिया। फिर उसने एक योजना बनाई।

चिंटू ने टिनी से कहा, “अरे टिनी, तुम तो बड़ी चालाक हो! अगर तुम इतना बड़ा गड्ढा खोद सकती हो, तो इसमें छलांग लगाकर दिखाओ। मैं मान जाऊंगा कि तुम सबसे तेज हो।” टिनी को लगा कि चिंटू मजाक कर रहा है और उसे गुस्सा आ गया। उसने कहा, “देखो, मैं कितनी ताकतवर हूं!” और बिना सोचे समझे गड्ढे में कूद गई।

जैसे ही वह गड्ढे में गिरी, चिंटू ने गड्ढे के ऊपर पत्थर रख दिए ताकि टिनी बाहर न आ सके। टिनी ने अपनी मूर्खता को समझा और चिंटू से माफी मांगने लगी। चिंटू ने कहा, “टिनी, धोखे से कुछ भी हासिल नहीं होता। अगर तुम दूसरों को नुकसान पहुंचाने के बजाय दोस्ती करती, तो तुम्हें यह दिन नहीं देखना पड़ता।”

टिनी ने अपनी गलती मान ली और वादा किया कि अब वह कभी किसी को धोखा नहीं देगी। चिंटू ने टिनी को बाहर निकाला और उसे समझदारी और सच्चाई का महत्व सिखाया।

मूल्य: धोखा देना कभी सही नहीं होता। सच्चाई और समझदारी से काम लेना हमेशा बेहतर होता है।