शीर्षक: चीकू खरगोश और चमत्कारी टोपी
बहुत समय पहले की बात है। एक सुंदर से जंगल में चीकू नाम का एक नन्हा खरगोश रहता था। चीकू बहुत ही प्यारा और होशियार था, लेकिन उसमें आत्मविश्वास की थोड़ी कमी थी। जब भी कोई मुश्किल आती, वह डरकर छिप जाता और सोचता, “मैं कुछ नहीं कर सकता।”
एक दिन चीकू जंगल की सैर पर निकला। चलते-चलते उसे एक पुरानी, चमकीली टोपी झाड़ियों में पड़ी मिली। उसने वह टोपी उठाई और पहन ली। जैसे ही टोपी उसके सिर पर आई, एक हल्की सी आवाज़ आई – “तुम अब डरपोक नहीं, बहादुर हो!”
चीकू चौंका, लेकिन फिर मुस्कुराया। “क्या यह टोपी जादुई है?” उसने सोचा।
अगले दिन जंगल में बड़ा हंगामा मचा। चंचल हिरणी का बच्चा, मीठू, तालाब में गिर गया था और सब जानवर घबरा गए थे। कोई भी तालाब में उतरने की हिम्मत नहीं कर रहा था, क्योंकि वहाँ मगरमच्छ रहते थे।
चीकू ने यह देखा तो पहले डर गया। लेकिन फिर उसने अपनी टोपी को छूकर कहा, “अगर मैं कोशिश नहीं करूंगा, तो मीठू डूब जाएगा। मुझे बहादुर बनना होगा।”
उसने पास की एक लंबी बेल ली, उसे तालाब में फेंका और ज़ोर से पुकारा, “मीठू! बेल को पकड़ लो!”
मीठू ने बेल पकड़ी और चीकू ने पूरी ताक़त लगाकर उसे खींच लिया। थोड़ी देर में मीठू बाहर था, सुरक्षित और खुश!
सारे जानवर चीकू की बहादुरी की तारीफ़ करने लगे। लेकिन चीकू मुस्कुराया और बोला, “शायद ये टोपी ही जादुई है!”
तभी एक बुजुर्ग कछुआ आगे आया और बोला, “बेटा, यह टोपी जादुई नहीं है, जादू तो तुम्हारे अंदर था। टोपी ने सिर्फ तुम्हें याद दिलाया कि तुममें हिम्मत है।”
चीकू को समझ आ गया — असली ताक़त आत्मविश्वास में होती है, न कि किसी जादू में।
उस दिन के बाद से चीकू ना केवल खुद पर भरोसा करने लगा, बल्कि वह सभी जानवरों की मदद भी करता और उन्हें सिखाता कि डर को जीतना ही असली बहादुरी है।
सीख: आत्मविश्वास से बढ़कर कोई जादू नहीं होता।
 
                                









