शीर्षक: गुड्डू गिलहरी और समय की घड़ी
बहुत समय पहले की बात है। एक सुंदर पहाड़ी जंगल में एक छोटी सी गिलहरी रहती थी, उसका नाम था गुड्डू। गुड्डू बहुत चंचल, होशियार और हमेशा कुछ नया सीखने के लिए उत्सुक रहता था। पर उसकी एक आदत बहुत खराब थी — वह समय पर कोई काम नहीं करता था।
चाहे स्कूल जाना हो, फल इकट्ठा करना हो या दोस्तों से मिलना — गुड्डू हर काम देर से करता। वह अकसर कहता, “अभी तो बहुत समय है!”
जंगल के बड़े-बुज़ुर्ग जानवर उसे समझाते, “गुड्डू बेटा, समय की कद्र करना सीखो, वरना पछताना पड़ेगा।”
लेकिन गुड्डू हमेशा हँसकर बात टाल देता।
एक रहस्यमयी मुलाकात
एक दिन गुड्डू जंगल की सबसे ऊँची चोटी पर चढ़ा, जहां अक्सर कोई नहीं जाता था। वहाँ उसे एक पुराना उल्लू मिला, जो एक बड़ी सी घड़ी की दुकान चला रहा था। वह दुकान पेड़ों की शाखाओं से बनी हुई थी और उसमें अलग-अलग तरह की घड़ियाँ थीं — कुछ लकड़ी की, कुछ पत्थर की, और कुछ तो चमकदार सितारों से बनी हुई थीं।
उल्लू ने गुड्डू को देखा और मुस्कराकर बोला, “क्या तुम समय की कीमत जानते हो?”
गुड्डू हँसते हुए बोला, “मुझे घड़ी की ज़रूरत नहीं। मुझे सब याद रहता है!”
उल्लू ने एक छोटी, सोने जैसी चमकती घड़ी निकाली और कहा, “ये है समय की जादुई घड़ी। जो इसे पहनता है, उसे समय की सच्ची अहमियत समझ में आने लगती है।”
उल्लू ने गुड्डू को वह घड़ी दी और कहा, “लेकिन ध्यान रखना, घड़ी सिर्फ उसे समझ आती है जो सीखना चाहता है।”
जादुई अनुभव
गुड्डू ने घड़ी पहनी और नीचे उतर आया। अगले दिन जब वह देर से स्कूल पहुंचा, तो पाया कि सब जानवरों ने मिलकर एक मजेदार कहानी प्रतियोगिता रखी थी — और उसे ही मेजबान चुना गया था। लेकिन क्योंकि वह देर से आया, उसकी जगह किसी और को दे दी गई।
गुड्डू को बहुत बुरा लगा। उसने पहली बार सोचा, “काश मैं समय पर पहुँचता!”
अगले दिन उसने फल जमा करने में देर कर दी। और जब वह पहुँचा, तो सारे मीठे जामुन और काजू उसके दोस्त ले चुके थे। भूखा-प्यासा गुड्डू घर लौटा।
धीरे-धीरे, गुड्डू को समझ आने लगा कि समय पर किया गया काम सबसे अच्छा होता है।
अब वह घड़ी देखकर उठता, नहाता, खाता और समय पर स्कूल जाता। उसके शिक्षक भी खुश रहने लगे, और दोस्तों ने उसकी तारीफ करनी शुरू कर दी।
समय की परीक्षा
एक दिन जंगल में तूफान आने की चेतावनी मिली। सभी जानवर मिलकर जल्दी-जल्दी अपने घर मज़बूत कर रहे थे। लेकिन गुड्डू को लगा कि वो आराम से बाद में कर लेगा।
लेकिन तभी उसकी घड़ी ने अजीब सी आवाज़ की — “टिक टिक… अब नहीं तो कभी नहीं!”
गुड्डू चौंका! उसने पहली बार घड़ी को बोलते हुए सुना। वह तुरंत काम पर लग गया और अपने और सुरक्षित जगह पर खाने-पीने का सामान रख दिया।
कुछ ही घंटों बाद, घना तूफान आया। हवाएं तेज़ थीं, बारिश बहुत ज़ोरों से हो रही थी। जिन जानवरों ने समय पर तैयारी नहीं की थी, उनके घरों की छत उड़ गई, सामान भीग गया और उन्हें बहुत तकलीफ हुई।
लेकिन गुड्डू का घर पूरी तरह सुरक्षित था। वह अंदर बैठा रहा, सूखा और गर्म, और अपने दोस्तों की मदद भी करता रहा। कुछ गिलहरियाँ और छोटे पक्षी उसके घर में आकर तूफान से बचे।
तूफान के अगले दिन, सब जानवरों ने गुड्डू की तारीफ की। उन्होंने कहा,
“अब तो तू बिलकुल समझदार बन गया है!”
गुड्डू मुस्कराया और बोला,
“अब मुझे पता है — समय की कीमत क्या होती है। देर करना मस्ती नहीं, गलती होती है।”
उल्लू की वापसी
रात को जब सब सो रहे थे, गुड्डू की घड़ी एक बार फिर चमकी। सामने फिर वही बूढ़ा उल्लू खड़ा था। उसने कहा,
“गुड्डू, अब तू वाकई समय की अहमियत समझ गया है। अब ये घड़ी तुझे हमेशा सही राह दिखाएगी — लेकिन असली घड़ी अब तेरे दिल में है।”
गुड्डू ने घड़ी को प्यार से देखा, और महसूस किया कि उसकी आदतें अब बदल चुकी थीं।
शिक्षा (Moral):
🕒 समय सबसे अनमोल है।
जो समय की कद्र करता है, वह जीवन में कभी पीछे नहीं रहता।